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कुक्षी जिला ब्यूरो नरेन सीरवी : शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मातारानी के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारणि का मातृशक्ति ने किया आव्हान

Mukesh Dhanvare

Wed, Sep 24, 2025

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मातारानी के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारणि का मातृशक्ति ने किया आव्हान

कुक्षी : माँ नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप का नाम माँ ब्रह्मचारिणी है। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी को तपस्या और साधना की देवी माना जाता है नवरात्र के द्वितीय दिवस पर प्रातः "मुख्य यजमान संजय किशोर जी हम्मड" ने विधिविधान से माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की वही प्रातः अश्विनी द्वितीय बीज पर माँ आईजी की गादी पाठ पूजन किया गया और श्री आईजी महिला भजन कीर्तन मंडल श्री आई माताजी मंदिर व ॐ नमो भगवते वासुदेव मंडल ने रात्रि मे महाआरती की व महाप्रसादी के लाभार्थी बने। माँ नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में कहा जाता है,की माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों में वीरता, निर्भयता और सौम्यता का विकास होता है। माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माँ दुर्गा के प्रत्येक स्वरूप का अपना अनूठा पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है,जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती हैं। इस पावन अवसर पर लोग अपने घरों में पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और देवी की कृपा से जीवन की सभी कठिनाइयों और परेशानियों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि का यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी समाज को एकता और सौहार्द्र के सूत्र में बाँधता है। उक्त आयोजन समाज सकल पंच समिति के अध्यक्ष कांतिलाल गेहलोत,उपाध्यक्ष कैलाश काग,कोषाधक्ष्य राजेश भायल, कोटवाल रमेश परिहार,कोठारी मोतीलाल काग,वरिष्ठ पंच राजेश राठौर व नवदुर्गा उत्सव समिति की सक्रिय भूमिका रहती है।*लोकेशन नवरात्र के दूसरे दिन मातारानी के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारणि का मातृशक्ति ने किया आव्हान कुक्षी : माँ नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप का नाम *माँ ब्रह्मचारिणी* है। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी को तपस्या और साधना की देवी माना जाता है नवरात्र के द्वितीय दिवस पर प्रातः *"मुख्य यजमान संजय किशोर जी हम्मड"* ने विधिविधान से माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की वही प्रातः अश्विनी द्वितीय बीज पर माँ आईजी की गादी पाठ पूजन किया गया और *श्री आईजी महिला भजन कीर्तन मंडल श्री आई माताजी मंदिर व ॐ नमो भगवते वासुदेव मंडल* ने रात्रि मे महाआरती की व महाप्रसादी के लाभार्थी बने। माँ नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में कहा जाता है,की माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों में वीरता, निर्भयता और सौम्यता का विकास होता है। माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माँ दुर्गा के प्रत्येक स्वरूप का अपना अनूठा पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है,जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती हैं। इस पावन अवसर पर लोग अपने घरों में पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और देवी की कृपा से जीवन की सभी कठिनाइयों और परेशानियों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। नवरात्रि का यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी समाज को एकता और सौहार्द्र के सूत्र में बाँधता है। उक्त आयोजन समाज सकल पंच समिति के अध्यक्ष कांतिलाल गेहलोत,उपाध्यक्ष कैलाश काग,कोषाधक्ष्य राजेश भायल, कोटवाल रमेश परिहार,कोठारी मोतीलाल काग,वरिष्ठ पंच राजेश राठौर व नवदुर्गा उत्सव समिति की सक्रिय भूमिका रहती है।

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